A SIMPLE KEY FOR HINDI POETRY UNVEILED

A Simple Key For Hindi poetry Unveiled

A Simple Key For Hindi poetry Unveiled

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स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।

पौधे आज बने हैं साकी ले ले फूलों का प्याला,

अंधकार है मधुविक्रेता, सुन्दर साकी शशिबाला

Many of these poems like "veer tum badhe chalo" and "Jhansi wali rani" were within our class in class...Those times I learnt them by heart and still After i recite hardly ever miss a phrase..

कंठ बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला,

'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंत्र का जाप करे'

आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की website मधुशाला।।२।

पीकर जिसको चेतनता खो लेने लगते हैं झपकी

छक जिसको मतवाली कोयल कूक रही डाली डाली

पत्र गरल का ले जब अंतिम साकी है आनेवाला,

पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला,

शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला।।४६।

झड़ी लगाकर बरसे मदिरा रिमझिम, रिमझिम, रिमझिम कर,

मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,

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